जैसे की उसकी ज़िन्दगी का सारा दर्द सिर्फ़ मेरी वजह से है।
हम इस तरह जुडें है की अब एक दूसरे से मुक्त होना असंभव सा है।
पर मुक्त हो जाने के सिवा, एक दूसरे से मुह मोड़ लेने के सिवा अब और कोई उपाय नज़र नही आता है।
मुझे जाना होगा, वरना यह पानी, यह समुद्र और यह शहर उसे ले जाएगा।
इन पाम के पेड़ों इन सड़कों , इन लोगों के लिए ही तोह मै इस शहर में आई थी , पर अब यह सब
भी मुझे रोक पाने में असमर्थ होंगे ! मैंने जीवन में स्थिरता (stability) के लिए एक ठोस (solid) कारण (reason) हमेशा ढूँढा है। उसमे मुझे ऐसे किसी कारण की एक धुंधली सी छवि देखाई थी । उसी के लिए तो मैं यहाँ इस तरह अचानक ठहर गई थी । पर अब वह छवि मिटती जा रही है , और सिर्फ़ धुआं सा कुछ बाकी है , जो की पिछले तीन सालों के आखरी सबूत की तरह आँखों में चुभ रहा है . मेरे फिर भीड़ (crowd) में खो जाने के अलावा और कोई उपाय फिलहाल मुझे नहीं दिख रहा है।
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